इस बार देश के सबसे लोकप्रिय और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता Mohanlal को भारतीय सिनेमा जगत का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित सम्मान dada saheb phalke award 2023 देने की घोषणा केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने की है।
यह सम्मान उनके चार दशक से भी अधिक लंबे सिनेमाई सफर और भारतीय सिनेमा में अमिट छाप छोड़ने वाले योगदान को सम्मानित करने के लिए दिया जा रहा है। यह पुरस्कार 23 सितंबर, 2025 को 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में प्रदान किया जाएगा।
इस घोषणा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मोहनलाल को बधाई देते हुए कहा, “श्री मोहनलाल जी उत्कृष्टता और बहुमुखी प्रतिभा के प्रतीक हैं। दशकों तक फैले काम के एक समृद्ध भंडार के साथ, वे मलयालम सिनेमा और थिएटर के एक प्रमुख स्तंभ हैं और केरल की संस्कृति के प्रति गहरा प्रेम रखते हैं। उन्होंने तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और हिंदी फिल्मों में भी उल्लेखनीय प्रदर्शन दिया है। मीडियम्स में उनकी सिनेमाई और नाटकीय प्रतिभा वास्तव में प्रेरणादायक है। dada saheb phalke award से सम्मानित किए जाने पर उन्हें बधाई। आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने वाली उनकी उपलब्धियां यूं ही जारी रहें।”
Dada Saheb Phalke Award : सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान
dada saheb phalke award भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा और सर्वोच्च पुरस्कार माना जाता है। यह पुरस्कार भारत सरकार द्वारा सिनेमा जगत में आजीवन योगदान के लिए दिया जाता है। इस पुरस्कार की शुरुआत 1969 में भारतीय सिनेमा का पितामह महान फिल्म निर्माता दादासाहेब फाल्के की स्मृति में की गई थी।
Dada Saheb Phalke Award में स्वर्ण कमल (गोल्डन लोटस), एक प्रशस्ति पत्र और 10 लाख रुपये की नकद राशि दी जाती है। मोहनलाल से पहले Dada Saheb Phalke Award सम्मान पाने वाले केरल के पहले सिनेमा व्यक्तित्व स्वर्गीय एमटी वासुदेवन नायर थे।
Movies of Mohanlal : एक शानदार सफर की शुरुआत
मोहनलाल का जन्म 21 मई 1960 को केरल के एलुरु (अब पथानामथिट्टा) में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनलाल विश्वनाथन नायर है। उन्होंने अपने अभिनय की शुरुआत 1978 में मलयालम फिल्म ‘थुवनाथुम्बिकल’ से की थी, लेकिन इस फिल्म में उनका रोल बहुत छोटा था।
उनकी पहली मुख्य भूमिका 1980 में आई फिल्म ‘मनजिल विरिन्जा पूक्कल’ में थी। 1980 का दशक उनके लिए स्टारडम की सीढ़ियाँ चढ़ने का दौर था। ‘राजाविंते मकन’, ‘नमुक्कोरू पाक्षिक्करण’, ‘चिथ्रम’ और ‘संदेशम’ जैसी फिल्मों ने उन्हें मलयालम सिनेमा का चहेता बना दिया।
लालेटन: एक अनोखी जोड़ी ने रचा इतिहास
मोहनलाल के सिनेमाई सफर की बात हो और उनकी फिल्मों के सुपरहिट जोड़ी ‘लालेटन’ का जिक्र न हो, यह संभव नहीं है। मोहनलाल और निर्देशक-निर्माता प्रियदर्शन और स्क्रिप्ट राइटर-अभिनेता श्रीनिवासन के साथ उनकी जोड़ी ने मलयालम सिनेमा में एक नए युग की शुरुआत की।
‘नदोदिक्कट्टु’, ‘वंदनम’, ‘किलुकम’, ‘चित्रम’ और ‘मिथुनम’ जैसी कॉमेडी फिल्मों ने दर्शकों के दिलों पर कब्जा कर लिया। इसी तरह, निर्देशक आई.वी. ससी के साथ उनकी जोड़ी ने ‘देवासुरवम’, ‘किरीतम’ और ‘अमरम’ जैसी एक्शन और ड्रामा फिल्मों को जन्म दिया। यह जोड़ी आज भी दर्शकों की पहली पसंद बनी हुई है।
नेशनल अवार्ड विजेता फिल्में: अभिनय का वो शिखर
मोहनलाल ने अपने करियर में अब तक पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते हैं, जिनमें से दो सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के हैं। पहला राष्ट्रीय पुरस्कार उन्हें 1991 में फिल्म ‘भारतम’ के लिए मिला। इस फिल्म में उन्होंने एक सैनिक की भूमिका निभाई थी, जिसने दर्शकों और आलोचकों दोनों का दिल जीत लिया।
दूसरा राष्ट्रीय पुरस्कार उन्हें 1999 में आई फिल्म ‘वानप्रस्थम’ के लिए मिला। इस फिल्म में उनके अभिनय को आज भी भारतीय सिनेमा के सबसे शानदार अभिनय में गिना जाता है। इसके अलावा, फिल्म ‘किरीतम’ के लिए स्पेशल मेंशन अवार्ड, ‘कालापानी’ के लिए सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार (निर्माता के रूप में) और ‘पुलिजल’ के लिए सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार (निर्माता के रूप में) भी उनके नाम है।
मलयालम से निकलकर: पैन-इंडिया स्टार बने मोहनलाल
हालाँकि मोहनलाल मुख्य रूप से मलयालम सिनेमा के सुपरस्टार हैं, लेकिन उन्होंने तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी सिनेमा में भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है। तमिल में ‘इरुवर’, ‘जेल’, ‘पेरियान्ना’ जैसी फिल्मों में उनके अभिनय की जबरदस्त सराहना हुई।
तेलुगु में ‘जनता गैरेज’ और ‘मनमणि’ जैसी फिल्में सुपरहिट रहीं। हिंदी सिनेमा में उनकी फिल्म ‘कंपनी’ (राम गोपाल वर्मा की) ने उन्हें एक अलग ही पहचान दिलाई। उनकी हालिया पैन-इंडिया फिल्म ‘डॉक्टर’ और ‘लुक्का चुप्पी’ ने भी दर्शकों का भरपूर प्यार पाया। यह Mohanlal pan-India movies का ही कमाल है कि आज वे पूरे देश में जाने और पसंद किए जाते हैं।
पद्म श्री और पद्म भूषण: राष्ट्र ने किया सम्मानित
सिनेमा के क्षेत्र में उनके अतुल्य योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 2001 में पद्म श्री और वर्ष 2019 में पद्म भूषण से सम्मानित किया। यह देश के चौथे और तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान हैं।
यह सम्मान केवल उनके अभिनय के लिए नहीं, बल्कि समाज में उनकी सक्रिय भूमिका और सांस्कृतिक योगदान के लिए भी दिया गया। इससे यह साबित होता है कि मोहनलाल सिर्फ एक अभिनेता ही नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक और सांस्कृतिक दूत भी हैं।
सेना में मानद पद: देशभक्ति की भावना
मोहनलाल की देशभक्ति सिर्फ परदे तक सीमित नहीं है। साल 2009 में उन्हें भारतीय प्रादेशिक सेना (Territorial Army) में एक मानद लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर नियुक्त किया गया था।
यह सम्मान उन्हें उनकी देशभक्ति और समाजसेवा के लिए दिया गया। वह इस पद पर नियुक्त होने वाले पहले मलयालम अभिनेता हैं। इसने केरल के लोगों में देशभक्ति की एक नई लहर पैदा की और युवाओं को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा
मोहनलाल का सफर केवल एक स्टार के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐसे कलाकार के रूप में है जिसने हमेशा अपने काम से ही बात की। उनकी Mohanlal acting career की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उन्होंने कभी भी खुद को किसी एक विधा या छवि में कैद नहीं होने दिया।
वह एक ही साल में ‘वानप्रस्थम’ जैसी गंभीर ड्रामा फिल्म और ‘नरसिम्हम’ जैसी मसाला एक्शन फिल्म कर सकते हैं। यह बहुमुखी प्रतिभा ही उन्हें दूसरों से अलग और खास बनाती है। नई पीढ़ी के अभिनेताओं के लिए वह एक आदर्श और मार्गदर्शक हैं।
दादासाहेब फाल्के की स्मृति, Dada Saheb Phalke Award
23 सितंबर 2025 का दिन भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज होगा, जब यह सर्वोच्च सम्मान एक सच्चे विभूति के हाथों में होगा। उनकी यह उपलब्धि आने वाली कई पीढ़ियों को अपने सपनों को पूरा करने की प्रेरणा देती रहेगी।
dada saheb phalke award मोहनलाल के उस अतुल्य योगदान का केवल एक प्रतिबिंब है, जो उन्होंने भारतीय सिनेमा को दिया है। यह सम्मान केवल उन्हें नहीं, बल्कि उन करोड़ों दर्शकों और प्रशंसकों को दिया गया है, जिन्होंने उन्हें इतने वर्षों तक अपना प्यार और आशीर्वाद दिया। केरल ही नहीं, पूरा भारत आज अपने ‘लालेटन’ पर गर्व महसूस कर रहा है।
©द नेशन स्टोरी, 2025 (The Nation Story)
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