व्हाइट हाउस से India को 2025 का बड़ा झटका: H1B visa fees वीज़ा की फीस हुई एकदम से डबल

H1B visa fees double by Amerika

America से एक बहुत ही चौंकाने वाली और चिंताजनक खबर आई है। ट्रंप साहब ने एक बार फिर से H1B visa fees को निशाना बनाते हुए उसकी फीस में भारी बढ़ोतरी कर दी है। यह खबर अमेरिका में रह रहे हर भारतीय प्रोफेशनल, हर उस छात्र के लिए एक बड़ा झटका है जो अमेरिका में अपना करियर बनाने का सपना देख रहा है, और उन कंपनियों के लिए भी जो भारतीय टैलेंट पर निर्भर हैं।

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यहएक ऐसा फैसला है जिसका सीधा असर लाखों लोगों की जेब, उनके भविष्य और उनके सपनों पर पड़ने वाला है। अगर आप, आपका कोई रिश्तेदार, दोस्त या जान-पहचान वाला कोई शख्स अमेरिका में H1B visa पर है या जाने की तैयारी में है, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। आइए, विस्तार से समझते हैं कि आखिर हुआ क्या है, पुरानी फीस और नई फीस में कितना अंतर है, और इसका असर किस पर और कैसे पड़ेगा।

H1B visa fees Old Vs New : जानिए क्या पड़ेगा असर?

पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान “अमेरिका फर्स्ट” की नीति को आगे बढ़ाते हुए कई ऐसे फैसले लिए थे जिनका लक्ष्य विदेशी कर्मचारियों की नौकरियों पर रोक लगाकर अमेरिकी नागरिकों को प्राथमिकता देना था। H1B visa उनका प्रमुख निशाना रहा है। हाल ही में, उनके समर्थकों और इस नीति को मानने वाले अधिकारियों ने H1B वीज़ा की फीस में भारी इजाफे का प्रस्ताव पास किया है।

इस नए प्रस्ताव के तहत $1,00,000 की H1B visa fees (filing fee) वार्षिक फीस का उल्लेख है जो एक चौंकाने वाली राशि है और यह मौजूदा फीस संरचना से काफी अधिक है। यह महत्वपूर्ण है कि पाठक इस बात को समझें कि यह एक प्रस्तावित या कल्पित परिदृश्य हो सकता है, क्योंकि वर्तमान में H-1B वीजा की फीस इतनी अधिक नहीं है।

वास्तविक दुनिया में, H1B visa fees (नियोक्ता द्वारा वहन की जाने वाली विभिन्न फीसों का योग) आमतौर पर कुछ हज़ार डॉलर में होती है, न कि एक लाख डॉलर में। इसलिए, उपरोक्त अनुवाद एक काल्पनिक या भविष्य की संभावित स्थिति का वर्णन करता प्रतीत होता है। जहाँ पहले कंपनियों को एक H1B वीज़ा के आवेदन के लिए करीब $460 से $500 का भुगतान करना पड़ता था।

H1B visa से जुड़े अन्य शुल्क, जैसे कि फ्रॉड प्रिवेंशन एंड डिटेक्शन फी (Fraud Prevention and Detection Fee) और अमेरिकी कोर्ट्स तंत्र को सपोर्ट करने के लिए शुल्क (Asylum Program Fee) आदि में भी बढ़ोतरी की गई है। इसका मतलब यह हुआ कि अब किसी भी कर्मचारी का H1B visa fees पहले से कहीं ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।

H1B visa fees double by Amerika

H1B visa fees क्या है? एक नज़र में समझें इसका मतलब और महत्व

बहुत से लोगों के लिए जो इस खबर से अपडेट नहीं हैं, उन्हें समझना जरूरी है कि आखिर यह H1B visa है क्या? दरअसल, H1B वीज़ा अमेरिका की एक तरह की नॉन-इमिग्रैंट वीज़ा कैटेगरी है जो उन विदेशी workers को दी जाती है जो किसी अमेरिकी employer के लिए किसी स्पेशलाइज्ड occupation में काम करने जा रहे हैं। “स्पेशलाइज्ड occupation” का मतलब है ऐसी नौकरी जिसके लिए थ्योरेटिकल और प्रैक्टिकल एप्लीकेशन वाला खास ज्ञान चाहिए, जैसे कि IT, इंजीनियरिंग, मैथमेटिक्स, साइंस, मेडिसिन, अकाउंटिंग आदि।

ज्यादातर मामलों में, इसके लिए कम से कम बैचलर्स डिग्री या उसके बराबर की योग्यता की जरूरत होती है। H1B visa meaning in hindi is basically “विशेष व्यवसाय वाला कर्मचारी वीज़ा”. भारत समेत दुनिया भर के लाखों स्किल्ड प्रोफेशनल्स इसी वीज़ा के जरिए अमेरिका में काम करते हैं और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अपना योगदान देते हैं। यह वीज़ा आमतौर पर तीन साल के लिए issued किया जाता है, जिसे आगे बढ़ाया भी जा सकता है।

ट्रंप साहब का H1B visa fees पर पुराना रवैया: ‘अमेरिका फर्स्ट’ का नारा और उसका असर

यह कोई पहला मौका नहीं है जब Trump H1B visa policies सुर्खियों में हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने पहले कई बार “Buy American, Hire American” का executive order जारी किया था। इसका मकसद सीधा और स्पष्ट था: अमेरिकी कंपनियों को दबाव डालना कि वे अमेरिकी workers को प्राथमिकता दें, न कि सस्ते में काम करने वाले विदेशी टैलेंट को।

उस वक्त भी H1B वीज़ा के लिए आवेदन प्रक्रिया को और कठिन बनाया गया, वीज़ा approval rates में गिरावट आई, और “स्पेशलाइज्ड occupation” की परिभाषा को सख्त किया गया ताकि ज्यादा से ज्यादा applications को reject किया जा सके। Trump news में अक्सर यह बात सामने आती रही कि वे चाहते हैं कि H1B वीज़ा का इस्तेमाल सिर्फ सबसे talented और highest-paid workers के लिए ही हो, न कि entry-level jobs के लिए।

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उनका मानना था कि कुछ कंपनियाँ (भारतीय आईटी कंपनियों को इशारा) इस system का फायदा उठाकर सस्ते में foreign labour import कर रही हैं, जिससे अमेरिकी workers की नौकरियाँ जा रही हैं।

इसलिए, यह नई H1B visa fees बढ़ोतरी उनकी उसी नीति का एक extension है। इसका लक्ष्य कंपनियों पर financial burden बढ़ाकर उन्हें H1B वीज़ा के इस्तेमाल से हतोत्साहित करना है।

H1B visa fees double by Amerika

किसको पड़ेगा सबसे ज्यादा चुकाना? भारतीय आईटी सेक्टर और छोटे businesses पर मंडराया खतरा

H1B visa fees बढ़ोतरी का सबसे ज्यादा असर दो तरह की कंपनियों पर पड़ने वाला है:

  1. भारतीय आईटी दिग्गज (Indian IT Giants): कंपनियाँ जैसे TCS, Infosys, Wipro, HCL टेक्नोलॉजीज H1B वीज़ा के सबसे बड़े यूजर्स में से हैं। ये कंपनियाँ अमेरिका में अपने क्लाइंट्स के लिए बड़ी संख्या में टेक्निकल staff भेजती हैं। Infosys ADR (अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसीट) जैसे शेयरों पर investors की नजर इस खबर के बाद बनी हुई है, क्योंकि इन कंपनियों की operating cost अचानक से बहुत बढ़ जाएगी। हर साल हज़ारों नए वीज़ा apply करने का मतलब है करोड़ों रुपये का अतिरिक्त खर्च, जिसका सीधा असर उनके profits पर पड़ेगा।
  2. छोटी और मझौली अमेरिकी कंपनियाँ (SMEs): अमेरिका में ऐसी हज़ारों छोटी टेक कंपनियाँ हैं जिन्हें स्पेशलाइज्ड स्किल्स की जरूरत होती है, जो उन्हें locally नहीं मिल पाते। ये कंपनियाँ अपने limited budget में H1B वीज़ा के जरिए भारतीय या अन्य विदेशी टैलेंट को hire करती हैं। उनके लिए अतिरिक्त $800-$900 का burden भी एक बड़ी मुश्किल है। इससे हो सकता है कि वे नई hiring को रोक दें या फिर अपने business को expand करने के plans पर reconsider करें।

इस तरह, यह फैसला न सिर्फ विदेशी workers को नुकसान पहुँचाएगा, बल्कि अमेरिकी businesses और अर्थव्यवस्था को भी चोट पहुँचाएगा।

अमेरिका में रह रहे भारतीयों और future applicants के लिए H1B visa fees के क्या मायने हैं?

अगर आप पहले से ही अमेरिका में H1B वीज़ा पर काम कर रहे हैं, तो आप सोच रहे होंगे कि इसका आप पर क्या असर होगा। सीधे तौर पर तो आपकी जेब पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि वीज़ा फीस employer द्वारा दी जाती है, employee द्वारा नहीं। लेकिन indirect effect जरूर पड़ सकता है:

  • नौकरी बदलने में मुश्किल: अगर आप अपनी नौकरी बदलना चाहते हैं, तो नए employer को आपका H1B transfer करवाने के लिए यह बढ़ी हुई फीस देनी होगी। इससे छोटी कंपनियाँ आपको hire करने से हिचकिचा सकती हैं।
  • वेतन वृद्धि पर असर: कंपनियाँ अपने overall increased cost को manage करने के लिए future salary hikes पर रोक लगा सकती हैं।
  • ग्रीन कार्ड प्रक्रिया धीमी: H1B वीज़ा के जरिए ही ज्यादातर भारतीय professionals ग्रीन कार्ड के लिए apply करते हैं। ग्रीन कार्ड की प्रक्रिया से जुड़ी फीस में भी बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे यह लंबी प्रक्रिया और भी महंगी हो जाएगी।

और अगर आप भारत में बैठे H1B visa के लिए apply करने की सोच रहे हैं, तो आपके लिए competition और बढ़ने वाला है। कंपनियाँ अब कम employees के लिए ही वीज़ा apply करेंगी, सिर्फ top candidates के लिए। इसलिए, what is H1B visa in USA और इसकी requirements को समझना और खुद को और भी ज्यादा qualified बनाना बहुत जरूर हो गया है।

H1B visa fees double by Amerika

H1B visa fees : अनिश्चितता के बादल, लेकिन हिम्मत न हारें

अमेरिका में रह रहे भारतीय समुदाय के लिए यह एक चिंताजनक समय है। Trump H1B related policies ने एक बार फिर से उनके भविष्य को अनिश्चितता में डाल दिया है। H1B visa fees 2025 में यह भारी उछाल निस्संदेह employers और employees, दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती है।

हालाँकि, यह याद रखना जरूरी है कि भारतीय professionals अपने skill, hard work और dedication के बल पर अमेरिकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ बने हुए हैं। उनकी मांग कम होने वाली नहीं है। हो सकता है कि short term में कुछ मुश्किलें आएँ, hiring slow down हो, लेकिन long term में talent की जीत ही होती है।

अगर आप इस situation से प्रभावित हैं, तो सबसे अच्छा है कि अपने employer के HR department से बात करें और समझें कि वे इस नई H1B fees structure को कैसे handle कर रहे हैं। अपने immigration attorney से consult करें। और सबसे बढ़कर, अपने skills को upgrade करते रहें। क्योंकि दुनिया भर में, असली ताकत आपके passport में नहीं, बल्कि आपके talent और knowledge में होती है।

H-1B Electronic Registration Process: Click Here


©द नेशन स्टोरी, 2025 (The Nation Story)
पारदर्शिता के प्रति प्रतिबद्ध

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