पेरिस में चमकी सीतापुर की कला : शाहरुख अंसारी की पेंटिंग्स ने जीता दुनिया का दिल
सीतापुर | कहते हैं कि मेहनत और हुनर के आगे कोई सरहद मायने नहीं रखती – इस बात को सच कर दिखाया है सीतापुर के क़ज़ियारा निवासी शाहरुख अंसारी ने। Sharukh Ansari painting ने अब फ्रांस की राजधानी पेरिस तक का सफर तय कर लिया है और पूरी दुनिया में सीतापुर का नाम रोशन कर दिया है।
एक बार फिर सीतापुर के बेटे ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर बढ़ाया भारत का मान बढाया है। शाहरुख लखीसराय के केंद्रीय विद्यालय में हैं कला शिक्षक है। पेरिस की आर्ट एग्जीबिशन में “होप” और “मॉस्की” पेंटिंग्स को जगह मिली है।
पेरिस की आर्ट एग्जीबिशन में शाहरुख की दो पेंटिंग्स शामिल
पेरिस के Galléria M में 4 से 6 जुलाई 2025 तक आयोजित की गई “Fortress Onsite Fine Art Exhibition” में भारत से चुनिंदा कलाकारों को आमंत्रित किया गया, जिसमें शाहरुख अंसारी की दो पेंटिंग्स — “Hope” और “Mosqi” भी शामिल रहीं।
यह आर्ट एग्जीबिशन City Art Factory द्वारा आयोजित की गई थी, और इसमें दुनियाभर के उभरते कलाकारों को अपनी कला दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का मौका मिला।
पेंटिंग “होप” में दिखा युद्ध और शांति का गहरा संदेश
शाहरुख अंसारी ने बताया कि उनकी पेंटिंग “Hope” आज की दुनिया में चल रहे युद्ध, तबाही और शांति की चाह को एक फ्रेम में समेटती है।
- पेंटिंग के एक हिस्से में मुस्कराती स्त्री के कान में पृथ्वी को दिखाया गया है जो जीवन और उम्मीद का प्रतीक है।
- वहीं दूसरे हिस्से में वही स्त्री उदास है और उसके माथे पर परमाणु बम तथा हार में हथियार दर्शाए गए हैं, जो विनाश और दुःख को उजागर करता है।
“Mosqi” पेंटिंग में दिखा रौशनी और उम्मीद का झरोखा
“Mosqi” नाम की पेंटिंग एक झरोखे से आती रौशनी को समकालीन (कंटेम्पररी) स्टाइल में दर्शाती है। यह रचना अध्यात्म और शांति की ओर संकेत करती है।
छात्र जीवन से ही कला के प्रति जुनून
शाहरुख का सफर एक साधारण छात्र से अंतर्राष्ट्रीय कलाकार बनने तक काफी प्रेरणादायक रहा है।
- उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से फाइन आर्ट में स्नातक और फिर जामिया मिल्लिया इस्लामिया से मास्टर्स की डिग्री हासिल की।
- वर्तमान में वे केंद्रीय विद्यालय, लखीसराय (बिहार) में कला शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं।
राष्ट्रीय मंचों पर भी मिल चुकी है पहचान
शाहरुख की पेंटिंग्स इससे पहले देश की कई नामी कला प्रदर्शनियों की शोभा बन चुकी हैं। उन्हें “प्रफुल्ल दहुनकर आर्ट फाउंडेशन सिटी अवॉर्ड” से भी नवाज़ा जा चुका है।
परिवार और दोस्तों ने दी बधाई
शाहरुख की इस कामयाबी पर उनके माता-पिता, भाई, दोस्त, और शुभचिंतकों ने हर्ष जताया और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
उनकी यह सफलता सीतापुर के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है।
कला की कोई सरहद नहीं होती
शाहरुख अंसारी ने यह साबित कर दिया कि अगर जुनून हो तो सीतापुर जैसे छोटे शहर से निकलकर भी दुनिया के सबसे बड़े कला मंचों पर अपनी छाप छोड़ी जा सकती है। उनकी पेंटिंग्स आज न सिर्फ़ भारत की बल्कि मानवता, शांति और सौंदर्य की आवाज़ बन चुकी हैं।
©द नेशन स्टोरी, 2025 (The Nation Story)
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